हरिहरपुरी की कुण्डलिया
हरिहरपुरी की कुण्डलिया
राणा सिंह प्रताप की, कितनी अद्भुत चाल।
बड़े-बड़े दुश्मन जमीं, पर गिर हुये हलाल।।
पर गिर हुये हलाल, पता कुछ नहीं चला था।
सड़ा कब्र में नीच, सैन्य बाहर निकला था।।
कहें मिसिर कविराय,शेर ने अरि को फाड़ा।
हिंदु विरोधी शक्ति,मार-काटा था राणा।।
मिसिर की कुण्डलिया
आत्मा परम अजर अमर, यह अकाट्य सन्देश।
आत्मा के सिद्धंत पर, चल बन राम नरेश।।
चल बन राम नरेश, आत्म को मौलिक जानो।
आत्मा असली नाम, नाम को खुद पहचानो।।
कहें मिसिर कविराय,पहन लो जोड़ा-जामा।
कर लो अपना नाम, बनो सामाजिक आत्मा।।
Muskan khan
09-Jan-2023 06:11 PM
Wonderful
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Sushi saxena
08-Jan-2023 08:24 PM
👌
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